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CAA विरोध प्रदर्शन : मुस्लिम महिलाओं को हथियार की तरह क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है ?

कई राज्यों में के साथ हिंसात्मक विरोध प्रदर्शनों के बाद अब CAA विरोधियों ने प्रदर्शन का तरीका बदल दिया है और यह अनायास नहीं हुआ है ।एक सोची-समझी रणनीति है या यूं कहिए कि बहुत बड़ी साजिश है। संशोधित नागरिक संहिता के विरोध में प्रदर्शनों की शुरुआत जामिया से हुई और जेएनयू होते हुए जादवपुर तक पहुंच गई पश्चिम बंगाल में हिंसा का भयानक तांडव देखने को मिला जहां पर सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया और व्यक्तिगत वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया । इसके बाद उत्तर प्रदेश को जलाने की पूरी कोशिश की गई लेकिन समय रहते सुरक्षा एजेंसियों को यह पता चल गया कि इसके पीछे कुछ फिरका परस्त और आतंकवादी ताकते भी शामिल हो रही हैं जिसके बाद उत्तर प्रदेश में बहुत सख्ती बढ़ती गई । साथ ही साथ मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि जिस सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान जो दंगाई कर रहे हैं उसे दंगाइयों को पहचान कर उनसे ही वसूल किया जाएगा। उत्तर प्रदेश ने इस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी का भी सहारा लिया जिसके बहुत ही अच्छे परिणाम आए। कई मामलों में वसूली नोटिस चस्पा किए गए और कुछ मामलों में वसूली हो भी गई ।उत्तर प्रदेश में सख्ती को देखते हुए धरना प्रदर्शनों एकदम से बंद हो गये।

 अब धरना और प्रदर्शन के नाम पर सिर्फ एक ही स्थल बचा हुआ था और वह था दिल्ली जहां शाहीन बाग जैसी एक सुरक्षित जगह पर प्रदर्शनकारियों का डेरा डलवा दिया गया । इसके पीछे कांग्रेस सहित कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ताकतें, संविधान बचाने के नाम पर इन प्रदर्शनों को खाद पानी उपलब्ध करा रही है । इनका प्रदर्शन लंबा चले इसके लिए लगभग रोज एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें कांग्रेस के बुद्धिजीवी नेता भाषण देते हैं और प्रदर्शनकारियों को जिनमें अधिकांशत: मुसलमान है, डराते हैं , धमकाते हैं कि कैसे CAA उनकी नागरिकता खत्म करने वाली हैं। झूठ का सहारा लेकर ये नेता बताते हैं कि आगे और क्या क्या होने वाला है ? कैसे केंद्र की भाजपा सरकार उन्हें प्रताड़ित करने वाली है? मणिशंकर अय्यर , शशि थरूर, सलमान खुर्शीद और दिग्विजय सिंह जैसे नेता ऐसी समां बांधते हैं कि जैसे मुसलमानों के ऊपर भारत में बहुत बड़ी मुसीबत आने वाली है। यह सभी नरेंद्र मोदी और अमित शाह को गालियां देते हैं और उन्हें हत्यारा तक बताते हैं। एक बार फिर से गोधरा कांड से उपजे गुजरात के दंगों की याद ताजा करते हैं और बताते हैं कि यही पूरे हिंदुस्तान में होने वाला है । दिल्ली की आप सरकार भी प्रदर्शनकारियों की हर संभव मदद कर रही है ।यह सभी दल मिलकर प्रदर्शनकारियों के लिए खाने पीने का इतना अच्छा इंतजाम और मेहमान नवाजी कर रहे हैं कि देखने वालों को मालूम पड़ता है कि प्रदर्शनकारी है या किसी बारात या सामाजिक समारोह में आए हुए अतिथि । शाहीन बाग क्षेत्र वासियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनके आने-जाने बीमार बुजुर्गों को अस्पताल पहुंचाने और बच्चों को स्कूल जाने तक की समस्याएं हो रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने यद्यपि दिल्ली पुलिस से कहा है वह अपने तरीके से इन प्रदर्शनकारियों से निकले और उन्हें धरना स्थल से बाहर करें लेकिन दिल्ली पुलिस तमाम आरोपों प्रत्यारोपण से बचने के लिए शक्ति करने से बच रही है इसका नाजायज फायदा उठाते हुए देश विरोधी तत्व सक्रिय हो गए हैं और इसका परिणाम गणतंत्र दिवस पर भी पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। 26 जनवरी के दिन अगर इस सारे प्रदर्शनकारी शाहीन बाग से उठकर इंडिया गेट की तरफ चल पड़े तो पुलिस और प्रशासन क्या करेगा? इस पर शीघ्र विचार विमर्श की आवश्यकता है। अगर गणतंत्र दिवस के दिन किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में घूम रहे आतंकवादियों ने अगर इस सहज पहुंच वाली जगह पर किसी वारदात को अंजाम दे दिया तो क्या होगा? इस पर सभी को जागरूक करने की आवश्यकता है।

लेकिन एक प्रश्न सभी को सोचना होगा कि आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि इन प्रदर्शनों में केवल महिलाएं शामिल है ? ऐसी सभी वे महिलाएं हैं जिनमें अधिकांश को संशोधित नागरिकता कानून , एनआरसी और एनपीआर के बारे में ज्यादा कुछ नहीं मालूम। इसके कुछ संभावित कारण हो सकते हैं?

  • महिलाओं के कारण पूरे विश्व समुदाय से सहानुभूति अर्जित हो सकेगी कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ कितनी ज्यादती हो रही है? 
  • महिलाआंदोलनकारियों की वजह से सरकार और पुलिस बल प्रयोग नहीं कर पाएगी और अगर बल प्रयोग करने का विकल्प अपनाया जाता है तो पूरे विश्व में भारत सरकार की छवि धूमिल होगी .
  • ऐसा होने पर सारे तथाकथित धर्मनिरपेक्षता वादी एक होकर सड़कों पर उतर आएंगे और केंद्र सरकार के खिलाफ एक एकीकृत बड़ा आंदोलन खड़ा किया जा सकेगा।
  • महिलाओं को आंदोलन में धकेलने के पीछे सबसे बड़ा कारण है मुस्लिम महलों का 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी को वोट देना, यह छुपा हुआ किंतु सबसे प्रमुख एजेंडा है।
  • विपक्ष में एक आम धारणा थी कि लोगों में नोटबंदी, जीएसटी , बेरोजगारी , खस्ता आर्थिक स्थिति की नाराजगी के चलते, नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। लेकिन इसके विपरीत 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने पहले से ज्यादा अधिक सीटें पाकर और मत प्रतिशत बढ़ाकर समूचे विपक्ष को कोने में डाल दिया है। कई चुनाव विश्लेषण करने वाली कंपनियों और एजेंसियों ने पाया है कि भारतीय जनता पार्टी के आधार में विस्तार हुआ है और समाज के कई वर्ग नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व, ईमानदार छवि , द्रण संकल्प, और अनथक परिश्रम के कारण भाजपा से जुड़ गए हैं । एक सबसे आश्चर्यजनक घटना है, मुस्लिम महिलाओं का तीन तलाक और हलाला जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने के कारण नरेंद्र मोदी के प्रति उमड़ा स्नेह जिन्होंने मोदी को जमकर वोट दिया । हिंदू मतों के विभिन्न राजनीतिक दलों में विभाजन के कारण थोक में पड़ने वाले मुस्लिम मत किसी भी चुनाव में काफी निर्णायक होते थे और यही कारण है कि अल्पसंख्यक तुष्टिकरण करने के मामले में कुछ दलों के बीच में गलाकाट प्रतियोगिता होती है। लेकिन मोदी भाई जान ने मुस्लिम मतों में विभाजन कर दिया । मुस्लिम पुरुषों का वोट किसी और पार्टी को जा रहा है किंतु मुस्लिम महिलाओं का वोट मोदी भाईजान को जा रहा है। स्वाभाविक है मुस्लिम मत ( केवल मुस्लिम पुरुष) हार जीत के लिए उतने प्रभावी नहीं रह गए थे । इस स्थिति को बदलने के लिए माथापच्ची की जा रही थी । इस बीच चुनावी रणनीति बनाने वाली एक कंपनी ने ये सुझाव दिया कि CAA, NRC, NPR के विरोध प्रदर्शनों में महलाओं को को आगे रखकर आंदोलन जारी रखा जाए। इससे आंदोलन को भी नई धार मिलेगी और मुस्लिम महिलाओं को मोदी के विरुद्ध खड़ा किया जा सकेगा। नतीजतन मोदी भाई जान के वोट भी कट जाएंगे। इस तरह मुस्लिम मतों को पुनः संगठित किया जा सकेगा।

इस कंपनी की पूरी सिफारिशे पश्चिम बंगाल सरकार को दी गई है और ममता बनर्जी इसे पूरी शिद्दत के साथ लागू कर रही हैं । इस कंपनी की सिफारिशों को लेकर ममता बनर्जी कितना गंभीर है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वह स्वयं इन सिफारिशों को मूर्त रूप देने के लिए मुख्यमंत्री का सारा कामकाज छोड़कर सड़कों पर है।

केंद्र सरकार, राज्य सरकारें , सभी राजनीतिक दलों और समाज के सभी बुद्धिजीवियों को चाहिए कि वह आपसी मतभेद भुलाकर इस मामले से निपटने के लिए देश का मार्गदर्शन करें , देश की अस्मिता बचाने, इसका गौरव बढ़ाने और देश की रक्षा करने के लिए। याद रखिए आज जिस हाल में देश है शायद वैसा भी, आगे आने वाली पीढ़ियों को नसीब नहीं होगा यदि आपने जरा भी राजनीतिक स्वार्थ और वोट बैंक की अभिलाषा को अपने ऊपर हावी होने दिया।   

कौन इतना अच्छा इंतजाम कर रहा है । 












                 ********शिव मिश्रा**********

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