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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

CAA विरोध प्रदर्शन : मुस्लिम महिलाओं को हथियार की तरह क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है ?

कई राज्यों में के साथ हिंसात्मक विरोध प्रदर्शनों के बाद अब CAA विरोधियों ने प्रदर्शन का तरीका बदल दिया है और यह अनायास नहीं हुआ है ।एक सोची-समझी रणनीति है या यूं कहिए कि बहुत बड़ी साजिश है। संशोधित नागरिक संहिता के विरोध में प्रदर्शनों की शुरुआत जामिया से हुई और जेएनयू होते हुए जादवपुर तक पहुंच गई पश्चिम बंगाल में हिंसा का भयानक तांडव देखने को मिला जहां पर सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया और व्यक्तिगत वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया । इसके बाद उत्तर प्रदेश को जलाने की पूरी कोशिश की गई लेकिन समय रहते सुरक्षा एजेंसियों को यह पता चल गया कि इसके पीछे कुछ फिरका परस्त और आतंकवादी ताकते भी शामिल हो रही हैं जिसके बाद उत्तर प्रदेश में बहुत सख्ती बढ़ती गई । साथ ही साथ मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि जिस सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान जो दंगाई कर रहे हैं उसे दंगाइयों को पहचान कर उनसे ही वसूल किया जाएगा। उत्तर प्रदेश ने इस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी का भी सहारा लिया जिसके बहुत ही अच्छे परिणाम आए। कई मामलों में वसूली नोटिस चस्पा किए गए और कुछ मामलों में वसूली हो भी गई ।उत्तर प्रदेश मे

डेमोक्रेसी इंडेक्स (Democracy Index) 2019

ब्रिटेन से निकलने वाले इकोनॉमिस्ट न्यूज़पेपर ग्रुप ने वर्ष  2006  में लोकतंत्र मापने का पैमाना विकसित करने के उद्देश्य से एक प्रणाली / अवधारणा विकसित की और इसका नाम दिया गया "डेमोक्रेसी इंडेक्स" यह काम न्यूज़पेपर ग्रुप की इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट हर वर्ष करती है.इस सर्वे में दुनिया भर के  167  देशों को शामिल किया जाता है और  1 से  10  अंकों वाले इस इंडेक्स मैं हर देश को मिलने वाले अंको के आधार पर इन देशों की संयुक्त सूची तैयार की जाती है जिससे तुलनात्मक पता चल सके कि किस देश में लोकतंत्र के क्या स्थिति है।  2018  की तुलना में  2019  में भारत की स्कोर तालिका में  33  बेसिस प्वाइंट्स की कमी आई है और यह  7.23  से घटकर  6.90  हो गया है और इसके कारण सूची में भारत का स्थान  41  वीं पोजीशन से गिरकर  51 वी पोजीशन पर आ गया है। ऐसा क्यों हुआ  ?  इसको समझने के लिए इंडेक्स की कार्यप्रणाली समझना आवश्यक है. लोकतांत्रिक इंडेक्स में  60  संकेतको के आधार पर एक प्रश्नावली बनाई गई है और हर संकेतक के लिए अंक निश्चित किए गए हैं। इन  60 संकेतकों को पांच समूहों में रखा गया है जो इस प्रकार हैं

दिल्ली कितनी दूर ? कितनी पास ?

दिल्ली में कांग्रेसका प्रभाव लगभग खत्म हो गया है इसलिए मैदान में सिर्फ दो ही पार्टियां हैं भाजपा और आप। वर्तमान में आप की सरकार है जो पिछले 5 साल से चल रही है और जिसने 5 साल पहले 70 में से 67 सीट जीतकर अभूतपूर्व बहुमत प्राप्त किया था । सरकार की शुरुआत के दिनों में अपने अनुभव हीनता और अत्यावश्यक चालाकी कारण केजरीवाल कोई भी काम करने में असमर्थ रहे और अपनी असफलता का ठीकरा मोदी के सर फोड़ते रहे। केजरीवाल को यह समझने में बहुत समय लगा कि मोदी से टकराने का कोई फायदा नहीं होने वाला है और तब जाकर उन्होंने थोड़ा बहुत काम करना शुरू किया। फिर भी जो भी उन्होंने काम किए हैं वह समाज के निचले तबके के लिए काफी फायदेमंद दिखाई पड़ते हैं। दिल्ली में उत्तर भारत व अन्य राज्यों से आए हुए बहुत गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय लोग रोजगार की तलाश में आते हैं और यहां झुग्गी झोपड़ी जैसी अनधिकृत कॉलोनियों में रहते हैं जिनमें बिजली पानी और सीवर की समस्या है। इनमें से कई कॉलोनी को केंद्र सरकार द्वारा नियमित कर दिया गया है फिर भी इसका श्रेय लेने में केजरीवाल पीछे नहीं रहे। केजरीवाल बहुत ही चालाक और शातिर राजनीतिक व्यक्त