कोई भी व्यक्ति हर समय हर विषय पर सही राय नहीं दे सकता और बहुत स्वाभाविक है उसकी अपनी राय भी हमेशा सही नहीं हो सकती। हाल ही में मुंबई में हुए एक समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए गुलजार ने बातों ही बातों में नए नागरिकता संशोधन कानून के विषय में भय की भावना का इजहार किया और केंद्र सरकार पर तंज कसा। लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं अपनी बात "मित्रों" करके करना चाहता था लेकिन मैंने अपने को रोक लिया। "मित्रों" का संबोधन मोदी जी से टैग किया जाता है और इसलिए संभवत: उन्होंने इस शब्द को स्तेमाल नहीं किया, इसलिए क्योंकि मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने इस कानून को बनाया है। गुलजार ने ऐसे विषयों पर कभी कोई अनावश्यक टिप्पणी नहीं की जिनमें उनके समकालीन जावेद अख्तर सरीखे कई लोगों ने टिप्पणियां करके अनावश्यक विवाद को जन्म दिया । लेकिन नागरिकता संशोधन कानून पर अपनी अप्रत्यक्ष असहमति व्यक्त कर गुलजार ने संभवत: अपनी ही परंपरा तोड़ दी है। नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध आंदोलन करने वाले ज्यादातर यह तर्क देते हैं कि यह कानून मुस्लिम विरोधी है