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दिल्ली में भाजपा की हार के सबक

दिल्ली चुनाव में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है   यद्दपि   उसका वोट प्रतिशत बढ़ा है और सीटों की संख्या भी तीन से बढ़कर 8 हो गई है । लेकिन यह संतोष का विषय नहीं   हो सकता है क्योंकि जिस तरह से दिल्ली के सभी सातों सांसदों, तीनों विधायकों , भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा,और   अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री तक ने   जितनी मेहनत की थी उसका प्रतिफल नहीं मिला है । इसकी बानगी ओपिनियन पोल के समय ही मिल चुकी थी कि   दिल्ली में एक बार फिर आम आदमी पार्टी सरकार बनाएगी और भारतीय जनता पार्टी तमाम कोशिशों के बाद भी 20 सीटों की संख्या के अंदर से सिमट जाएगी. पार्टीं ने शायद इसके बाद ही गंभीरता से प्रयास शुरू किये पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी .   अब नतीजे सामने है और वह तमाम कारण जिसकी वजह से अपेक्षित सफलता नहीं मिली उसके सबक, कारण   और सुझाव निम्न है- ·        चुनाव से पहले संबंधित राज्य का सर्वे कराना और यह जानना की जनता के समक्ष प्रमुख समस्याएं क्या है ?और ज्वलंत मुद्दे क्या है ? इससे पार्टी को यदि वह सत्ता में है, तो   समय रहते उपयुक्त कदम उठाने का समय मिलेगा और यदि सत्ता में नहीं है तो इन मुद्द