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दिसंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या रघुवर दास झारखंड में भाजपा की हार के लिए जिम्मेदार हैं ?

लगभग सही बात है कि झारखंड में बीजेपी के चुनाव हार जाने का सबसे बड़ा कारण वहां के मुख्यमंत्री रघुवर दास है. लेकिन चुनावी हार का केवल एक कारण नहीं होता । अन्य इस प्रकार हैं - झारखंड का निर्माण इस उद्देश्य को लेकर किया गया था कि बिहार से अलग होने के बाद आदिवासी बहुल इस राज्य का विकास बहुत तेजी से हो सकेगा।  एक ऐसा राज्य जिसमें प्राकृतिक संपदा की कमी नहीं है उसके विकास में किसी चीज की कोई कमी आड़े आएगी इसकी संभावना नहीं थीं । झारखंड के निर्माण के शुरुआती दिनों से ही अस्थिरता का दौर शुरू हुआ और कोई भी दल अपने दम पर सरकार नहीं बना सका। पिछली सरकार के निर्माण के समय भारतीय जनता पार्टी को 80 में से 37 सीट से मिली हुई थी और उसने आजसू और जेवीएम की मदद से सरकार बनाई और पूरे 5 साल तक विकास के अनेकों कार्य किए। लेकिन चूंकि रघुवर दास एक गैर आदिवासी व्यक्ति थे इसलिए उनकी स्वीकार्यता आदिवासी समुदाय में नहीं हो पाई और यह शायद ये सबसे बड़ी कमी शुरुआत से ही थी जिसे भाजपा आखिर समय तक पूरा नहीं कर सकी ।  मुख्यमंत्री का व्यौहार अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं के प्रति बहुत संवेदनशील नह

गुलजार जी आप सही नहीं है,

कोई भी व्यक्ति हर समय हर विषय पर सही राय नहीं दे सकता और बहुत स्वाभाविक है उसकी अपनी राय भी हमेशा सही नहीं हो सकती। हाल ही में मुंबई में हुए एक समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए गुलजार ने बातों ही बातों में नए  नागरिकता संशोधन कानून के विषय में भय की भावना का इजहार किया और केंद्र सरकार पर तंज कसा। लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं अपनी बात "मित्रों" करके करना चाहता था लेकिन मैंने अपने को रोक लिया। "मित्रों" का संबोधन  मोदी जी से टैग किया जाता है और इसलिए संभवत: उन्होंने इस शब्द को स्तेमाल नहीं किया, इसलिए क्योंकि मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने इस कानून को बनाया है।  गुलजार ने   ऐसे विषयों पर कभी कोई अनावश्यक टिप्पणी नहीं की जिनमें उनके समकालीन जावेद अख्तर सरीखे कई लोगों ने टिप्पणियां करके अनावश्यक विवाद को जन्म दिया । लेकिन नागरिकता संशोधन कानून पर अपनी अप्रत्यक्ष असहमति व्यक्त कर  गुलजार ने संभवत: अपनी ही परंपरा तोड़ दी है।   नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध आंदोलन करने वाले ज्यादातर यह तर्क देते हैं कि यह कानून मुस्लिम विरोधी है

झारखंड चुनाव के संदेश

झारखंड से प्राप्त चुनाव के रुझान से आभास हो रहा है कि  भारतीय जनता पार्टी पिछले चुनाव के अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाएगी। पिछली बार उसे 37 सीटें विधानसभा में प्राप्त हुईं थीं और अब की बार ऐसा लग रहा है कि ये  आंकड़ा  30 से आगे नहीं बढ़ पाएगा. बहुत स्पष्ट है कि यह भारतीय जनता पार्टी की नैतिक पराजय है और वह जोड़ तोड़ कर सरकार भले ही बना ले जिसकी संभावना भी कम लग रही है क्योंकि उसके पूर्व सहयोगी आजसू और झारखंड विकास मोर्चा को मिलाकर  भी इतनी सीटें नहीं मिल पा रही हैं जिससे सरकार बनाना संभव हो। चुनावों से से बहुत पहले आगाज हो गया था कि झारखंड में भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाएगी औr कारण भी स्पष्ट थे और भारतीय जनता पार्टी को शीर्ष नेतृत्व को यह कारण मालूम भी होंगे लेकिन इसके बाद भी कोई कदम नहीं उठाया गया तो यह आश्चर्यचकित करने वाला है। भाजपा अगर सिर्फ वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास को हटाकर किसी अन्य व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना देती तो भी संभावित नुकसान को रोका जा सकता था लेकिन भाजपा ने ऐसा नहीं किया। भाजपा की हार के कारण 1. 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 37 सीटें मि

नागरिकता संशोधन कानून पर दुर्भाग्य पूर्ण राजनीति

यह बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है कि बार बार स्पष्टीकरण के वाबजूद ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि नागरिकता संशोधन कानून से अल्पसंख्यको की नागरिकता छिन जायेगी . परिणाम स्वरूप जगह जगह अल्पसंख्यको के एक बहुत छोटे से वर्ग द्वारा जो पहले से ही तीन तलाक, अयोध्या निर्णय, धारा ३७० आदि की वजह से हासिये पर आ गया है और उनके आय के श्रोत प्रभावित हो गए हैं , प्रदर्शन और हिंसा को भड़काने का काम कर रहे हैं . पूर्वोत्तर में प्रधान मंत्री के आह्वाहन पर शांति कायम होती दिख रही है किन्तु इसके विपरीत पश्चिम बंगाल और दिल्ली में हिंसा और आगजनी बढ़ती जा रही है . दुर्भाग्य से ये दोनों ही राज्यों में निकट भविष्य में चुनाव होने वाले हैं इसलिए वोटो की फसल को एकमुश्त काटने के लिए कुछ राजनैतिक दलों के बीच प्रतियोगिता भी शुरू हो गयी है. दिल्ली में जामिया इलाके में प्रदर्शन हिंसक हो गया और कई बसों और सार्वजानिक संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया और पुलिस बालों पर पथराव किया गया . एक राजनैतिक दल के विधान सभा सदस्य का भडकाने वाला विडिओ सामने आया है . समय की मांग है कि प्रदर्शनों को सख्ती से निपटा जाय