सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

योगी आदित्य नाथ का भगवा रंग ? लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

योगी आदित्य नाथ के कपड़े, कुर्सी का कवर भी, भगवा क्यों ?

सनातन धर्म में रंगों की पहचान और महत्ता वैदिक काल में ही कर ली गई थी. विभिन्न रंगों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए सनातन काल से रंगों का प्रयोग किया जाता रहा है. भगवा रंग मूल प्राकृतिक रंग नहीं है बल्कि यह लाल और पीले रंग का मिश्रण है क्योंकि यह दोनों ही रंग मनोवैज्ञानिक रूप से अत्यंत प्रभावी हैं , इसलिए भगवा रंग सनातन संस्कृति का एक अभिन्न अंग बन गया. भगवा रंग लाल और पीले दो प्राकृतिक रंगों से मिलकर बना है जिनका अलग-अलग महत्व है. जहां लाल रंग सौभाग्य, उत्साह और उमंग का प्रतीक है, पीला रंग रोशनी का प्रतीक है और यह सूर्य, मंगल और देवताओं के गुरु बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करता है. दोनों रंगों का अत्यंत वैज्ञानिक महत्व है. लाल और पीले दोनों रंग मिलकर अग्नि का रंग बनाते हैं जिसे सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र स्थान दिया गया है. सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों ही भगवा रंग के होते हैं, यह जीवन की शुरुआत और जीवन का अंत दोनों ही भगवा समर्पित हैं . सनातन धर्म के अनुसार भगवा रंग शौर्य और पराक्रम का भी प्रतीक है इसलिए आदि काल से भगवा रंग का प्रयोग धर्म ध्वजा के रूप में भी किया जाता ह