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उत्तर प्रदेश में अचानक ब्राह्मण इतने महत्वपूर्ण क्यों हो गए हैं ?

सपा, बसपा, कांग्रेस  और भाजपा सभी ब्राह्मणों के पीछे लगे हैं, उत्तर प्रदेश में अचानक ब्राह्मण इतने  महत्वपूर्ण क्यों हो गए हैं ?   कभी उत्तर प्रदेश में संपन्न समझे जाने वाले ब्रह्मण, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में भी अग्रणी भूमिका निभाई और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी सत्ता संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन आज यह समुदाय आज बेहद तंगहाल है. मुसलमानों को रिझाने और उनपर तमाम निवेश किये जाने तथा वोटों की बहुत महंगी कीमत चुकाने के बाद भी उ.प्र. के सन्दर्भ में एकआश्चर्य जनक तथ्य यह है कि पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जिस पार्टी की भी प्रदेश में सरकार बनी है, वह ब्रह्मण वोटों के कारण ही बनी है और सभी सरकारों में सबसे ज्यादा ब्राहमण विधायक रहे हैं , 2007 में बसपा की सरकार में 41 ब्राम्हण विधायक थे, अखिलेश की सरकार में 21 तथा भाजपा की सरकार में 44 ब्राह्मण विधायक हैं. आज उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. हम सभी ने कहानियों में पढ़ा है कि “एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था” लेकिन आज स्थिति अत्यंत भयावह है. आज हर गांव, कस्बे और शहर में गरीब ब्राह्मण रहते हैं. एक
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पश्चिम बंगाल की हिंसा पर एनएचआरसी की रिपोर्ट. अब करेगी केंद्र सरकार ?

  कोलकाता उच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की 7 सदस्य टीम ने पश्चिम बंगाल का दौरा किया. दुर्भाग्य से यह टीम, जो हिंसा की जांच करने गई थी, स्वयं हिंसा का शिकार हो गई और जादवपुर में उसके ऊपर हमला किया गया. इनको वापस आना पड़ा और इसके बाद केंद्रीय सुरक्षा बलों के साये में इस टीम ने अपना कार्य प्रारंभ किया. टीम ने 20 दिनों में 311 से अधिक जगहों पर दौरा किया और 50 पेज की अपनी एक रिपोर्ट कोलकाता उच्च न्यायालय को सौंप दी है . रिपोर्ट के अंश के समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के तुरंत बाद ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर जबरदस्त प्रहार किया और उसे रिपोर्ट लीक होने का जिम्मेदार ठहराया. लेकिन टीम के अध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने रिपोर्ट की एक कॉपी राज्य सरकार को भी भेजी थी इसलिए राज्य सरकार का यह कहना उचित नहीं है कि रिपोर्ट टीम ने लीक की है. 50 पन्ने की अपनी रिपोर्ट में टीम ने जिन बड़े अपराधी तत्वों के नाम अपनी रिपोर्ट में लिखे हैं वे ज्यादातर तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेता या कार्यकर्ता है. रिपोर्ट से पता चलता है कि पुलिस ने ज्यादातर मामलों में रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की लेकिन

उत्तर प्रदेश का प्रस्तावित जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक, 2021- लक्ष्य से भटकता कानून

  उत्तर प्रदेश का प्रस्तावित जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक, 2021- लक्ष्य से भटकता कानून   क्या प्रस्तावित जनसंख्या विधेयक अपना लक्ष्य प्राप्त का सकेगा ? भारत में जनसंख्या विस्फोट को देखते हुए एक अत्यंत प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता है  जिससे  आर्थिक विकास की गति तेज हो सके और लोगों के जीवन स्तर में अपेक्षित सुधार लाया जा सके. अभी स्थिति यह है  कि देश में जितने संसाधन  उत्पन्न किए जाते हैं,  वह बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्याप्त नहीं हो पाते हैं और इस कारण देश में अपेक्षित विकास  नहीं हो पा रहा है.  जनसंख्या वृद्धि  कुपोषण से लेकर शिक्षा और रोजगार सभी को प्रभावित कर रही है. इसलिए उत्तर प्रदेश  जैसे  बड़े राज्य के लिए जिसकी जनसंख्या  विश्व के 4 देशों चीन, भारत अमेरिका और इंडोनेशिया को छोड़कर सभी देशों से ज्यादा है,  जनसंख्या नियंत्रण  कानून की अत्यंत आवश्यकता है, इसमें कोई संदेह नहीं  बल्कि इसे बहुत पहले प्रदेश में लागू किया जाना चाहिए था.  भारत में जनसंख्या की समस्या :  जनसंख्या नियंत्रण की नीति बनाते समय देश के समक्ष जनसंख्या चुनौती को भी ध्यान में रखना

जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री की बैठक के क्या निहातार्थ है ? सरकार को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

   कश्मीरी नेताओं के साथ प्रधानमंत्री की बैठक  के  संदेश और दूरगामी परिणाम   कश्यप ऋषि के नाम से बनी कश्मीर घाटी जिसमें  हजारों वर्ष पुरानी सनातन संस्कृति के साथ कश्मीर के मूल निवासी  कश्मीरी पंडितों की लगभग 6000 साल पुरानी सामाजिक, साहित्यिक, और दार्शनिक  संस्कृति समाहित है, जो   आज अपने अस्तित्व के लिए  संघर्ष के अंतिम पड़ाव पर है  और शायद  कुछ वर्षों  बाद उनका संघर्ष  स्वत: समाप्त हो जाएगा और कम से कम कश्मीर के  लिए कश्मीरी पंडित एक इतिहास बन जाने के कगार पर हैं.    कैसे नासूर बनी कश्मीर समस्या ?  आज देश का बच्चा-बच्चा  जानता  है कि कश्मीर की समस्या  जवाहरलाल नेहरू की गलत नीतियों की वजह से हुई. १९४६ में  कश्मीर के राजा द्वारा उन्हें  गिरफ्तार किये जाने को वे व्यतिगत दुश्मनी मानते मानते शेख अब्दुल्ला के जिगरी दोस्त बन गए  और अंग्रेजों  के बुने जाल  में फस गए. भारत विभाजन के ठीक 2 महीने बाद पाकिस्तान द्वारा जम्मू कश्मीर पर आक्रमण और एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर पाने के पीछे  भारत सरकार द्वारा समय पर सैन्य सहायता न  पहुंचाना मुख्य कारण और समस्या की जड़  है. सरकार ने सेनाओं को भी खुली छूट न