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सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का आखिर कांग्रेस इतना विरोध क्यों कर रही है? क्या है इसके पीछे का असली एजेंडा ? क्या इसमें भी सांप्रदायिकता का खेल है?

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का आखिर कांग्रेस इतना विरोध क्यों कर रही है? क्या है इसके पीछे का असली एजेंडा ? क्या इसमें भी सांप्रदायिकता का खेल है? गांधी परिवार का सत्ता प्रेम जगजाहिर है. सरदार वल्लभ भाई पटेल के पक्ष में बहुमत होने के बाद भी गांधी जी के कारण जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री की कुर्सी मिल गई, इसके बाद नेहरु ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और सत्ता को 7 पीढ़ियों तक बनाए रखने के लिए जो भी हो सकता था वह उन्होंने किया. जवाहरलाल नेहरू के हिंदू होने पर भी तमाम सवालिया निशान है, जो खोज का विषय हैं लेकिन उन्होंने स्वयं भी कहा था कि- मैं शिक्षा से अंग्रेज, संस्कृति से मुसलमान और संयोगवस हिंदू हूं। (“I am Englishman by education, Muslim by culture and Hindu merely by accident of birth.”) संयोग से ही सही एक हिंदू बहुल देश में नेहरू को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए हिंदू बने रहना मजबूरी भी थी . एक और छिपी हुई कड़वी सच्चाई यह है कि वह दिल से वामपंथी थे और अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि बनाने के चक्कर में वामपंथी सोवियत रूस के साथ खड़े होकर भी गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अगुआ बनने का नाटक करते रहे. इस दौरान वह

क्या उत्तर प्रदेश में भाजपा नेतृत्व परिवर्तन करने वाली है?

 योगी की योग्यता परखना भाजपा के  लिए आत्मघाती होगा ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ~~~~~~   कुछ दिनों से  सोशल मीडिया में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी को बदलने की अफवाह  जोरों पर है. अफवाहों में सभी ने अपने अपने तर्क दिए हैं, कुछ ने कहा है कि योगी और मोदी के बीच में   मतभेद  गहराते  जा रहे हैं तो कुछ ने  कहा कि  योगी  किसी  मंत्री या कार्यकर्ता की  नहीं सुनते और उनकी कार्यशैली बिल्कुल तानाशाह जैसी हो गई है.   विपक्ष और मीडिया ने कोरोना की दूसरी लहर में   पूरे प्रदेश में  हुई  अत्यधिक मौतों को इसका कारण बताया है  जिस के समर्थन में उन्होंने गंगा में बहते हुए शवों  और   श्मशान घाटों में में लंबी-लंबी कतारों  का लगना बताया है, यह भी दावा किया गया है  कि यह सब तब है जबकि  उत्तर प्रदेश सरकार ने  मौत के  आंकड़े छुपाए हैं. कुछ स्वयंभू और गिद्ध पत्रकारों ने भी  इन अफवाहों को  ऑक्सीजन  देने का  काम किया है,  जो कुछ दिन पहले तक श्मशान घाट से सजीव प्रसारण कर रहे थे और गंगा में बहती लाशों  का विश्लेषण कर रहे थे.   विपक्ष ने भी  इन अफवाहों को इसे हाथों-हाथ लपक लिया और उनके कार्यकर्ताओं ने भी

मोदी सरकार के 7 वर्ष के कार्य काल की बैलेंस शीट और विश्लेषण

  मोदी सरकार के 7 वर्ष के कार्य काल की बैलेंस शीट और विश्लेषण   ( यह लेख परिवर्धित रूप में हिन्दी साप्ताहिक माधव भूमि के ५ जून के अंक में प्रकाशित हुआ है ) मोदी सरकार के 7 वर्ष पूरे होने पर जहां सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई, वही कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया और यह बहुत स्वाभाविक भी है. किन्तु दलगत राजनीति से अलग सरकार के इन 7 वर्षों के कार्यकाल को देशहित और जनहित के दृष्टिकोण से देखने और सरकार की उपलब्धियों और विफलताओं का सम्यक विश्लेषण करना नितांत आवश्यक है ताकि है पता चल सके कि- देश ने इस अवधि में क्या खोया और क्या पाया ? देशवासियों की कौन सी आकांक्षाएं पूरी हुई और कौन सी अभी भी प्रतीक्षित है ? इस कारण जनता में सरकार के प्रति क्या धारणा बन रही है ? इस सन्दर्भ में एक दर्जन सर्वाधिक महत्वपूर्ण सकारात्मक पहलुओं और एक दर्जन नकारात्मक पहलुओं का विश्लेषण करेंगें . मोदी सरकार की उपलब्धिया बहुत अधिक हैं और जिन्हें विफलताए भी इसलिए कहा जा रहा हैं कि सर्कार मोदी की है अन्यथा दूसरी सरकारों में तो ये मुद्दे ही नहीं बनते . उपलब्धियां : अगर हम सरकार की उपलब्धियों की

२६ मई २०२१ को होने वाले वर्ष के सबसे बड़े सुपरमून को सुपर ब्लड मून क्यों कहा जा रहा हैं ? इसमें क्या ख़ास है ?

  २६ मई २०२१ को होने वाले वर्ष के सबसे बड़े सुपरमून को सुपर ब्लड मून क्यों कहा जा रहा हैं ? इसमें क्या ख़ास है ? क्या होता है सुपरमून ? पृथ्वी की चंद्रमा से दूरी 384400 किलोमीटर मानी जाती है तथा चन्द्रमा के पृथ्वी के चक्कर लगाने के कारण इसकी पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होने पर ये दूरी लगभग 405696 किलोमीटर मानी जाती है। इस स्थिति को अपोगी कहते हैं। इसके ठीक विपरीत चंद्रमा के पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब होने की स्थिति को पेरिगी कहते हैं जिसमें पृथ्वी और चंद्रमा की बीच की दूरी लगभग 357000 किलोमीटर रह जाती है। यदि चंद्रमा के पेरिगी की स्थिति में पूर्णिमा पड़ती है तो सुपरमून दिखाई देता है।यानी जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है तो उस समय पृथ्वी वासियों को इसका आकार बड़ा दिखाई पड़ता है और इसकी चमक भी अधिक दिखाई पड़ती है. 26 मई २०२१ को चंद्रमा सामान्य दिनों के मुकाबले करीब 7 % अधिक बड़ा दिखाई देगा। आकार के अलावा इसकी चमक भी आम दिनों की तुलना में करीब 16 % अधिक होगी। इस दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होगा। वर्ष में न्यूनतम 12 पूर्णिमा पड़ती हैं। कभी-कभी 13 पूर्णिमा भी होती हैं। मगर ऐसा कम ही हो